Thursday, April 25, 2013

कह देना


प्लीज़ ...यार, मेरी एक बात सुनो
तुम जो चाहें सोचो
या जो मन में आये करो
पर,मेरे पास रहो .

इतना पास...
कि जब मन करे
तो तुम्हें छू सकूँ
बांहों में भर सकूँ
जी भर के चूम सकूँ .

अच्छा ,एक बात बताओ
तुम्हें ऐसा कभी नहीं लगता ,क्या ?
कभी मन नहीं करता
कि नज़दीक रहो .
पता है ,लगता भी होगा न
तो तुम कहोगे नहीं.
यूँ भी ...जतलाना
तुम्हारी फितरत कहाँ ?

सब जानने के बाद भी
मैं कहूँगी यही
कि कह देना ..
रिश्ते की सेहत के लिए अच्छा होता है

Friday, April 19, 2013

सप्पोर्ट सिस्टम


थक गयी हूँ
फासला तय करते -करते
जो आ गया हमारे बीच
एक फैसला करते करते .

ज़िंदगी....इतनी दुश्वार तो कभी न थी
जितना अब हो चली है
बड़े दिनों से
अपनी नज़रों से नज़रें भी मिलती नहीं .
तुम थे तो सब था
अब तेरे बिन कुछ भी नहीं
मेरा अपना वजूद ही नहीं

मेरा आप मुझसे सवाल करता है
एक नहीं कई बार करता है
कहाँ गया,क्यूँ गया वो ...
जो था मेरा ...सप्पोर्ट सिस्टम .

Monday, April 15, 2013

उदासी




उदासी...
एक बड़ी चादर
जो ढांक लेती है
बाक़ी सारे भाव
अपने अंदर.

उदासी....
इसके नुकीले पैने नाखून
उतार देते हैं खुरच कर
शेष बची सारी खुशियाँ
मन के अंतरतम से .

उदासी....
एक काली बंद गुफा
जहां,कितना ही पुकारो
कोई नहीं सुनता
कोई नहीं आता.

उदासी...
अंधा कुआं है
अपनी ही आवाज़ की
प्रतिध्वनियों के सिवा
सुनाने को
इसके आपस और कुछ नहीं .

उदासी ....
कफ़न सी सफ़ेद
मरघट की नीरवता लिए
मौत सी शान्ति के साथ
धीरे धीरे जान लिए जाती है

उदासी...
एक महामारी सी
एक से दूसरे तक
पाँव पसारती ...
धीरे- धीरे फैलती ...
लील जाती सब कुछ .


((प्रकाशित )






























Sunday, April 14, 2013

अपाहिज

.

आजकल सब अधूरा सा क्यूँ है ?
दिल दर्द से भरा पूरा सा क्यूँ है
बड़ी अजीब से हैं दिन और रात
अनमने से सारे जज़्बात
क्यूँ किसी काम में मन नहीं लगता
क्यूँ यह जीना जीने सा नहीं लगता .
तेरे बिन.

सोचती रहती हूँ कारण....
शायद,
तुझसे बात नहीं होती
मुलाक़ात नहीं होती
इसलिए जी बेज़ार है .
मान ही लूँ कि अधूरी हूँ
तेरे बिन.

बस ख़्याल पूरे हैं
बाक़ी सब अधूरा
मेरा दिल ...मेरी धडकन
मेरा जी ......मेरी जान
सब कुछ अपाहिज सा
तेरे बिन .

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

Followers