Saturday, June 23, 2012

एक शख्स



तुम कहते हो कि
लोग आँखें पढ़ लेते हैं .
मैं एक ऐसे शख्स से
वाकिफ हूँ ....
जो,बिन मुझे देखे सब जान लेता है
कब हूँ खुश कब उदास पहचान लेता है .
मोबाइल पे मेरी आवाज़ का एक हेल्लो
और वो पूछ लेता है ....
क्या बात है आज बड़ी खुश लग रही हो
कभी वही मेरी आवाज़ और वो कहता है
क्या बात है कुछ उदास हो क्या?
मेरा इधर हेल्लो बोलना और उसका कहना
कौन सी बात से परेशां हो ,कहो तो.

मैं वही ..हेल्लो वही ,
मैं उसे दिखती भी नहीं
तब भी जानता है हाल ए दिल.
कहता भी है
मन पढ़ने के लिए ज़रूरी नहीं मिलना ज़रूरी है 
एक से दूसरे तक एहसासों का बहना .


Wednesday, June 20, 2012

मूड अनुसार



मेरा मन होता है कि
तुमसे मिलने का ,इश्क करने का
यह फैसला,
हम दोनों ...
अपने घर की दीवार पे टंगे
इस कैलेण्डर को देख कर
न तय करें .
महीना,तारीख ,मौसम
ये कौन हैं हमारे बीच में आने वाले .
तेरा मेरा मिलना...
"हम"तय करेंगे
अपने मूड के अनुसार .
डायरियां ,कैलेण्डर जैसी चीज़ों को
अपने से परे रख कर .

आओ ना..
तुमसे मिलने का मन है
आज तुम्हें प्यार करने को
जी चाहता है ...बहुत .

(प्रकाशित)

Saturday, June 16, 2012

शायद ...



सही कहा तुमने ...शायद
किसी चीज़ का कोई भरोसा नहीं है
और फिर इस मुए चाँद का तो कतई नहीं
रोज तो घटता बढ़ता रहता है .

चाँद को तुम टांगना
हाथ से गोल कर .
मुझे जो जैसा है
वैसा पसंद है .
मुझे बदलाव मंजूर नहीं
काटना छांटना बस का नहीं .

किस्मत के सितारे
होते गर साथ हमारे
तो यह हाल ही होता क्यूँ
मैं उसको ,वो मुझको
खोता ही क्यूँ ????

जो मेरा है,हर हाल मिलेगा मुझे
किसी सर्च लाईट की ज़रूरत नहीं
सितारों पे यकीन की ज़रूरत नहीं
बस अपने प्यार पे यकीन है,मुझे .

दाग और चोट मिलें तो मिल जाएँ
उनसे कोई गुरेज नहीं
बस इतनी सी अरज है
कि तुम भी मिल जाओ ,कभी

Sunday, June 3, 2012

ज़िंदगी हैइच ऎसी.....




ज़िंदगी हैइच ऎसी.....
कब रंग बदल के
सामने आ खडी हो
किसी को पता नहीं होता .
सब सही चल रहा होता है
कि अचानक फोटू बदल जाती है
हाय ये जिंदगी
कहाँ ,किस कोने ,कुब्जे में ले जा के
पटखनी दे अंदाज़ा नहीं होता .

अक्सर,जब हारने लगते हैं
तो कहीं से चली आती है
कि ले थाम हाथ मेरा
अभी से कैसे हार मानने लगे
अभी तो लड़ना बाक़ी है,दोस्त.

हँसते हुए को रुलाने
रोते हुए को हँसाने
आ धमकती है
कभी इस मोड से ...कभी उस मोड पे.
मुझे कल मिली थी ,एक गली में
मुंह चिढाते हुए
कि आ जा...मस्ती करते हैं.कुछ देर.

जाते हुए गले लगा के
कान में कह कर गयी
अपने धमकाने के अंदाज़ में ....
बच्चू ...बच के रहने का
संभल के चलने का,अपुन से...
"

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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